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अफगानिस्तान में स्थिरता आने पर आतंकी जम्मू-कश्मीर में घुसने की कोशिश कर सकते हैं : सेना प्रमुख - Afghan-origin foreign terrorists

सेना प्रमुख ने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल किसी भी घटना से निपटने के लिए तैयार हैं क्योंकि उनके पास एक बहुत मजबूत घुसपैठ रोधी ग्रिड के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के भीतरी इलाकों में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए एक तंत्र है.

सेना प्रमुख
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Published : Oct 9, 2021, 4:31 PM IST

नई दिल्ली : थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने अफगानिस्तान में स्थिति स्थिर हो जाने पर अफगान मूल के विदेशी आतंकवादियों के जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की आशंका से शनिवार को इनकार नहीं किया. उन्होंने इस तरह के उदाहरणों का हवाला दिया, जब तालिबान दो दशक पहले काबुल में सत्ता में था.

उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल किसी भी अकस्मात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है क्योंकि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए उसके पास एक बहुत मजबूत घुसपैठ रोधी कवच और तंत्र है.

'इंडिया टुडे कॉनक्लेव' में यह पूछे जाने पर कि कश्मीर में नागरिकों की हालिया हत्याओं और अफगानिस्तान में सत्ता पर तालिबान के कब्जा करने में क्या कोई संबंध है, जनरल नरवणे ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि इनमें कोई संबंध था.

थल सेना प्रमुख ने कहा, 'लेकिन हम यह कह सकते हैं और अतीत से सीख ले सकते हैं कि जब पूर्व में तालिबान सत्ता में था तब निश्चित तौर पर जम्मू कश्मीर में अफगान मूल के विदेशी आतंकवादी थे.'

उन्होंने कहा, 'इसलिए यह मानने के कारण हैं कि अफगानिस्तान में स्थिति स्थिर हो जाने पर यह चीज एक बार फिर से हो सकती है, तब हम जम्मू कश्मीर में अफगानिस्तान से इन लड़ाकों का आना देख सकते हैं.'

उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल इस तरह की किसी भी कोशिश से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

काबुल में सत्ता पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद, अफगानिस्तान से पाकिस्तान होते हुए जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के आने की आशंका और लश्कर-ए तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने को लेकर भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों में चिंताएं बढ़ती जा रही हैं.

जम्मू कश्मीर में लक्षित हत्याओं पर सेना प्रमुख ने कहा कि यह चिंता का विषय है. उन्होंने आतंकवादी समूहों का जिक्र करते हुए कहा, 'वे लोग सामान्य स्थिति नहीं चाहते हैं. यह उनके प्रासंगिक बने रहने की अंतिम कोशिश है.'

उन्होंने कहा, 'लोग विद्रोह करेंगे. यदि वे (आतंकवादी) कहेंगे कि वे ये सब लोगों के लिए कर रहे हैं तो फिर आप लोगों की हत्या क्यों कर रहे हैं, जो आपके समर्थन का आधार है. यह महज आतंक फैलाने की कोशिश है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है.'

पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम समझौते के बारे में जनरल नरवणे ने कहा कि फरवरी से, चार महीने तक इसका पूरी तरह पालन किया गया, लेकिन जुलाई से सितंबर तक और अब अक्टूबर की शुरूआत में छिटपुट घटनाएं फिर से शुरू हो गई.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : थल सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने अफगानिस्तान में स्थिति स्थिर हो जाने पर अफगान मूल के विदेशी आतंकवादियों के जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ करने की आशंका से शनिवार को इनकार नहीं किया. उन्होंने इस तरह के उदाहरणों का हवाला दिया, जब तालिबान दो दशक पहले काबुल में सत्ता में था.

उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल किसी भी अकस्मात स्थिति से निपटने के लिए तैयार है क्योंकि जम्मू कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए उसके पास एक बहुत मजबूत घुसपैठ रोधी कवच और तंत्र है.

'इंडिया टुडे कॉनक्लेव' में यह पूछे जाने पर कि कश्मीर में नागरिकों की हालिया हत्याओं और अफगानिस्तान में सत्ता पर तालिबान के कब्जा करने में क्या कोई संबंध है, जनरल नरवणे ने कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि इनमें कोई संबंध था.

थल सेना प्रमुख ने कहा, 'लेकिन हम यह कह सकते हैं और अतीत से सीख ले सकते हैं कि जब पूर्व में तालिबान सत्ता में था तब निश्चित तौर पर जम्मू कश्मीर में अफगान मूल के विदेशी आतंकवादी थे.'

उन्होंने कहा, 'इसलिए यह मानने के कारण हैं कि अफगानिस्तान में स्थिति स्थिर हो जाने पर यह चीज एक बार फिर से हो सकती है, तब हम जम्मू कश्मीर में अफगानिस्तान से इन लड़ाकों का आना देख सकते हैं.'

उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल इस तरह की किसी भी कोशिश से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है.

काबुल में सत्ता पर तालिबान के कब्जा कर लेने के बाद, अफगानिस्तान से पाकिस्तान होते हुए जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों के आने की आशंका और लश्कर-ए तैयबा तथा जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों की आतंकवादी गतिविधियां बढ़ने को लेकर भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठानों में चिंताएं बढ़ती जा रही हैं.

जम्मू कश्मीर में लक्षित हत्याओं पर सेना प्रमुख ने कहा कि यह चिंता का विषय है. उन्होंने आतंकवादी समूहों का जिक्र करते हुए कहा, 'वे लोग सामान्य स्थिति नहीं चाहते हैं. यह उनके प्रासंगिक बने रहने की अंतिम कोशिश है.'

उन्होंने कहा, 'लोग विद्रोह करेंगे. यदि वे (आतंकवादी) कहेंगे कि वे ये सब लोगों के लिए कर रहे हैं तो फिर आप लोगों की हत्या क्यों कर रहे हैं, जो आपके समर्थन का आधार है. यह महज आतंक फैलाने की कोशिश है, जो पूरी तरह अस्वीकार्य है.'

पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम समझौते के बारे में जनरल नरवणे ने कहा कि फरवरी से, चार महीने तक इसका पूरी तरह पालन किया गया, लेकिन जुलाई से सितंबर तक और अब अक्टूबर की शुरूआत में छिटपुट घटनाएं फिर से शुरू हो गई.

(पीटीआई-भाषा)

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